ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खबर, मुआवजे के भी होंगे हकदार
Haryana Darshan: हरियाणा में ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। अब ये किसान भी बैंकों से लोन ले सकेंगे और प्राकृतिक आपदाओं में फसल खराब होने पर मुआवजा भी पा सकेंगे। राज्य सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नया कृषि भूमि पट्टा कानून लागू कर दिया है, जिससे कृषि भूमि के मालिक और पट्टेदार के बीच विवाद की संभावना भी नगण्य हो जाएगी।
📜 राज्यपाल ने दी मंजूरी
हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Haryana Winter Session) में पारित कृषि भूमि पट्टा कानून को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने स्वीकृति दे दी है। इसके बाद विधि एवं विधायी विभाग की प्रशासनिक सचिव रितु गर्ग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। यह कदम किसानों के हितों की सुरक्षा और उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए उठाया गया है।
🌱 पट्टेदार किसानों को मिलेगा मुआवजा
नए कानून के अनुसार, ठेके की जमीन पर लगी फसल अगर प्राकृतिक कारणों से खराब होती है, तो पट्टेदार को प्रदेश सरकार या फिर बीमा कंपनी की ओर से मुआवजा दिया जाएगा। गिरदावरी में ‘पट्टेदार’ का अलग से कालम रहेगा, जिससे भविष्य में विवाद की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
🏛️ तहसीलदार के समक्ष होगा समझौता
नए कानून में पट्टेदार और भू-मालिक के बीच समझौता तहसीलदार के समक्ष होगा, जिससे विवाद की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। इसके लिए दोनों पक्षों को कोई शुल्क भी नहीं देना होगा और विवाद भी स्थानीय स्तर पर सुलझा लिए जाएंगे, जिससे कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी। यह प्रक्रिया किसानों को समय और धन दोनों की बचत करेगी।
🔍 नए कानून की जरूरत
अमूमन जमीन मालिक किसान द्वारा छोटे किसानों को पट्टे पर जमीन दी जाती है। किसी विवाद से बचने के लिए भू-मालिक अक्सर हर साल या दो साल में पट्टेदार बदल देता है या उसे बंजर रख देता है। इतना ही नहीं, जमीन मालिक अपनी कृषि भूमि को लिखित रूप में पट्टे पर देने में भी संकोच करता है। लिखित समझौता नहीं होने से पट्टेदार प्राकृतिक आपदा के समय सरकार अथवा बीमा कंपनी से मिलने वाली राहत से वंचित रह जाता है। न ही उसे फसल ऋण मिल पाता है।
📊 नए कानून का प्रभाव
कानून का प्रावधान | लाभ |
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पट्टेदार किसानों को लोन | आर्थिक सहायता और फसल उत्पादन में वृद्धि |
पट्टेदार के नाम पर मुआवजा | प्राकृतिक आपदाओं में राहत और नुकसान की भरपाई |
तहसीलदार के समक्ष समझौता | विवाद की संभावना में कमी और कानूनी शुल्क में बचत |
गिरदावरी में अलग कालम | भू-मालिक और पट्टेदार के बीच स्पष्टता और पारदर्शिता |